शरीर में एंटीबॉडीज बन गई हैं तो जरूरी नहीं कि आप कोरोना को मात दे देंगे

शरीर में एंटीबॉडीज बन गई हैं तो जरूरी नहीं कि आप कोरोना को मात दे देंगे

सेहतराग टीम

लगभग पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर जारी है। लगातार मामलों में बढ़ोतरी भी हो रही है। या यूं कह लीजिए कि कोरोना वायरस थोड़ा आक्रामक रूप ले चुका है। ऐसे में दुनियाभर में रक्त के नमूने से होने वाली एंटीबॉडी जांच पर जोर दिया जा रहा हैं। भारत समेत अमेरिका, ब्रिटेन जांच कर ये पक्का करना चाहते हैं कि वे स्वस्थ हैं। हालांकि इससे यह कहना मुश्किल है कि अगर आपके शरीर में एंटीबॉडीज बन गई हैं तो आप कोरोना को मात दे देंगे या दोबारा संक्रमण नहीं होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की डॉ. मारिया वैन केरखोव का कहना है कि सच ये है कि अभी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि इस तरह की जांच से ये कहा जा सके कि किसी व्यक्ति में इम्यूनिटी है और उसे कोरोना नहीं होगा। डॉ. मारिया बताती हैं कि इन एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए क्षमता का पता किया जा सकता है, लेकिन एंटीबॉडी के स्तर से आप ये नहीं कह सकते कि कोई व्यक्ति कोरोना से बच सकता है। इस जांच से ये पता करना है कि कितने वायरस की चपेट में आए हैं और उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनी हैं।

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यह टेस्ट वायरस नहीं पकड़ता है बल्कि एंटीबॉडीज की पहचान करता है। विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबॉडी टेस्ट ये गणना करने में मदद कर सकते हैं कि जनसंख्या का कितने प्रतिशत हिस्सा संक्रमित हो चुका है।

सुपरस्प्रेडर को पकड़ने की कोशिश 

अमेरिकी संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कमिश्नर स्टीफन हान का कहना है कि कोई भी जांच सौ फीसदी सही नहीं होती है। बेहतर से बेहतर जांच में भी गलती की संभावना है। दरअसल इस जांच का मकसद सुपर स्प्रेडर को पकड़ना है जो संक्रमित तो है लेकिन उसे पता नहीं है और दूसरों को संक्रमित कर रहा है।

अगर संक्रमित हुए तो दूसरों को करेंगे

डब्ल्यूएचओ के डॉ. माइकल रायन बताते हैं कि शरीर में एंटीबॉडीज बनी हैं तो आप बीमार होने से बच सकते हैं, लेकिन इसके बाद भी अगर आप वायरस की चपेट में आ गए तो दूसरों को संक्रमित करेंगे क्योंकि आपमें संक्रमण होने के बाद हो सकता है कि काफी समय तक लक्षण नहीं दिखे।

संक्रमित की तरह करना होगा आइसोलेट

अमेरिका के वाइट हाउस की डॉ. एंथनी फॉसी का कहना है कि  किसी व्यक्ति में एंटीबॉडीज बनी हैं तो उसे भी एक संक्रमित रोगी की तरह की आइसोलेट करना होगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा क्योंकि वे अपने साथ दूसरों को संक्रमित कर सकता है।

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किट बेचने वाली अधिकांश कंपनियां चीनी

एफडीए ने जिन 90 कंपनियों से एंटीबॉडी टेस्ट किट खरीदे हैं, उनमें से अधिकतर चीन की हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज जांच की आड़ में कई दोयम दर्जे के टेस्ट किटों की अमेरिकी बाजार में आ गए। एफडीए के निर्देश इतने अस्पष्ट हैं कि बिना अनुमति वाले स्वास्थ्यकर्मी भी एंटीबॉडी टेस्ट को अंजाम दे रहे हैं।

उठ रहे हैं सवाल

शिकागो में जन स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इन एंटीबॉडी टेस्ट को स्वास्थ्यकर्मियों पर इस्तेमाल न करें। वहीं, लारेडो में अधिकारी इस टेस्ट से संतुष्ट नहीं हैं। इनके टेस्ट पर 20% भरोसा ही किया जा सकता है जबकि कंपनी ने 97% तक सटीकता का दावा था।

गुणवत्ता से समझौता यानी खतरा

यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा में संक्रामक रोग विशेषज्ञ मिशेल टी ऑस्टरहोम का कहना है कि तेजी के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है। लोगों को नहीं मालूम है कि यह टेस्ट कितना खतरनाक हो सकता है।

एंटीबॉडी क्या है (What is Anti-body)

एंटीबॉडी वाई आकार का प्रोटीन होता है जो शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं बनाती है जिसका काम वायरस को शरीर में घुसने से रोकना होता है।

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एंटीबॉडी जांच ऐसे करते हैं

  • व्यक्ति के शरीर से रक्त का नमूना सीरिंज से निकाला जाता है। रक्त से एंटीबॉडीज को सिरम में लिया जाता है।
  • सिरम और रक्त में मिली एंटीबॉडीज को विशेष प्रकार के प्लेट मिक्सचर में मिलाया जाता है।
  • प्लेट में मौजूद तरह पदार्थ रंग बदलता है तो इसका मतलब होता है कि मरीज में रक्त में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज बन चुकी हैं।

 

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